Thursday, February 2, 2012

हुँकार

नहीं रहूँ  लाचार 
हुँकार  आज  मैं  भरता  हूँ 
आये विपदा अपरम्पार 
मैं  कहाँ  किसी  से  डरता  हूँ 

आयें  कितनी  पगबाधा 
मैं  लांघ  सभी  को  बढ़ता  हूँ 
प्रबल  मन  का  यह  प्रचार 
आज  कर्म  भूमि  से  करता  हूँ 

विश्व  शांति  की  इक  गुहार 
मैं  रोज़  लगाये  अड़ता  हूँ 
दृढनिश्चय   का  प्रबल  प्रहार 
मैं  क्षण  क्षण  भर  में  करता  हूँ 

पाप  और  अभिमान  भरी 
मैं  उन  आँखों  में  गड़ता  हूँ 
अगर  कभी  साहस  छूटे 
तो  देख  मुझे  मैं  दृढ़ता  हूँ 

राष्ट्र  धर्मं  की  ध्वजा  लिए 
मैं  जन्मभूमि  पर  बढ़ता  हूँ 
माँ  आंच  न  तुझपर  आने  दूंगा 
हुँकार  आज  मैं  भरता  हूँ 

5 comments:

Animesh Kumar said...

बहुत सुन्दर रचना है राजेश!

Unknown said...

Dhanyawaad Animesh :)

Savir said...

Mast hai Bhai...

Unknown said...

Thanks Paaji :)

Ruchir said...

Accha laga Rajesh... Iss par aage bhi likhna..